Monday, October 26, 2015

रफ्ता रफ्ता तू गाने लगा है.

गम अब मुझे भाने लगा है .
ज़िदगी जीना आने लगा है.
मरती धड़कनों ने ये कहा है.
रफ्ता रफ्ता तू गाने लगा है.
गुनाहों से मेरे परदा हटाया गया.
गुनाह को आईना दिखाया गया.
मै झूठा,फरेबी और दगाबाज था.
मुझे भी शूली पर चढ़ाया गया.
रोक कर अपना गुरूर सब कुबूल था.
आज किनारे मेरा हरएक उसूल था.
वो ही सही थी आज अदालत में दोस्तो.
मेरा हर दलील का मायने फिजूल था.
::;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;!!!!!!!!!

No comments:

Post a Comment