Monday, October 26, 2015

जन्मों का संबंध हुआ है.

जन्मों का संबंध हुआ है.
ऐसा कुछ अनुबंध हुआ है.
दिल की बातें ये दिल जाने.
जो जाने वो ही वह माने.
रिस्तों की सांसे थामे अब.
सच्चे को सब ही पहचाने.
तुम सपनों की शहजादी
मन बाग की सुगंध हुआ है.
दिल की एक कहानी होती.
मौजों के जैसे रवानी होती.
मन माने तो हरजाई सब.
या दिल की मनमानी होती.
शब्द मेरे कुछ ऐसे ढलते.
जैसे गीतों का बंध हुआ है.

दिल का हाल सुना भी कर.

दिल का हाल सुनाने वाले.
दिल का हाल सुना भी कर.
हर धड़कन मे नाम तेरा ही
ना जाने कई बार लिखा है.
पूनम के चांद को देखा तो
तेरा बस ही दीदार दिखा है
मेरे संग कुछ पल में ही तू
सुनहरे ख्वाब बुना भी कर.
यह रिस्ता कुछ ऐसा गुजरा
कि नये नवेले सब रंग हुये.
हमजोड़ी को देख यहां पर
ये दुनिया वाले सब दंग हुये.
मै तेरी ज़िदगी में शामिल हूं
खुशियों को दोगुना तो कर.

नेताओं ने जगहसी की.

किसानो ने खुदखुशी की.
नेताओं ने जगहसी की.
परिवार अब भूखा मरा.
यह घड़ी थी बेबसी की.
सत्ता चुनाव मे मसगूल
सीमा पार है मैकसी की.
जय जवान जय किसान.
कहानी है मुफ़लिसी की.
ये क्या गम की ग़ज़ल है
या नज़्म है उर्वसी की.

रफ्ता रफ्ता तू गाने लगा है.

गम अब मुझे भाने लगा है .
ज़िदगी जीना आने लगा है.
मरती धड़कनों ने ये कहा है.
रफ्ता रफ्ता तू गाने लगा है.
गुनाहों से मेरे परदा हटाया गया.
गुनाह को आईना दिखाया गया.
मै झूठा,फरेबी और दगाबाज था.
मुझे भी शूली पर चढ़ाया गया.
रोक कर अपना गुरूर सब कुबूल था.
आज किनारे मेरा हरएक उसूल था.
वो ही सही थी आज अदालत में दोस्तो.
मेरा हर दलील का मायने फिजूल था.
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गम को गहरे दिल मे उतर जाने तो दो.

ज़िदगी का फलसफ़ा दिखाने तो दो.
उसे जरा और भी पास आने तो दो.
उसका गम भी दिखाई देगा तुम्हे.
उसे जरा खुलकर मुसकुराने तो दो.
बदस्तूर जारी है दिलों का मिलना
रिस्तों को भी ताउमर निभाने तोे दो.
दुनिया ने दर्द दिया है ज्यादा ही उसे
हाले दिल अयान उसको सुनाने तो दो.
यहां गम मनाते हैं त्योहार की तरह सब
गम को गहरे दिल मे उतर जाने तो दो.

भाड़ मे जाये पीर.

त्रासदी मे चलने लगा,राजनीति का खेल.
दुख के छण मे चली बयानों की एक रेल.
राजनीति हावी दिखी नहीं दिखा है नीर.
उल्लू सीधा हो रहा है भाड़ मे जाये पीर.

गीत: भारत देश महान

गीत: भारत देश महान
राष्ट्र भक्त जहाँ जान लुटाते यह भारत की शान।
गर्व से बोलो भारत वासी है भारत देश महान।

आज यहाँ पर आतंकी सब अपना डाले डेरा है।
धुँधला धुँधला दिखता मुझको आज सवेरा है।
पाप राक और रैप के गीतों का होता है गान।
भारत का संगीत गुम गया लोकगीत हैरान।
पाश्चात के चोले में गुम पूरब की मुस्कान।

आज युवा सारे दिखते है इंटरनेट के द्वारे।
ये रहते घर में माँ इनको कितनी बार पुकारे।
इनकी नजरे टिकी रहती है मोबाइल स्क्रीन।
जो दिखती है कहीं पे ब्लू औ कहीं पे है ग्रीन।
बडे बुजुर्गों की आहें है अब इनका सम्मान।

यहाँ पे रिस्ते नाते यारो विघटित हो जाते हैं।
यहाँ एक दूजे से वर्षों कोई नहीं मिल पाते हैं।
यहाँ पे त्योहारों का करलव तस्वीरों में दिखता।
चीन के व्यंजन आज रसोई में हरदम पकता।
डिजिटल मैसेज ने ले लिया है पत्रों का स्थान।

तब मेरी खुशी वहीं पर है

मेरा परिवार अगर खुश है
तब मेरी खुशी वहीं पर है

खुद के सपनों का जीवनसाथी
मिला तो ये घर द्वार बना
उसके आने से मेरे जीवन का
हर क्षण हर एक त्योहार मना
इस जग की खातिर जीवन
यहाँ पे कौन जिया करता है
मेरी हसरत कुछ नहीं यार
जिंदगी मेरी यहीं पर है
मेरा परिवार अगर खुश है
तब मेरी खुशी वहीं पर है

धन दौलत इसी की खातिर मै
यहाँ हर रोज कमाता हूँ
ताश के पत्ते के जीवन में
कितने महल बनाता हूँ
जब भी रोते देखा उसको
मै बहुत दुखी हो जाता हूँ
मेरा परिवार दिल खोल हसें
तब मेरी हंसी यहीं पर है
मेरा परिवार अगर खुश है
तब मेरी खुशी वहीं पर है

श्री गणेश ,

धरा  में  रहकर  गगन  से  जुड़ने  का  श्री गणेश ,
मन  वचन  कर्म  की  और  मुड़ने  का  श्री  गणेश ,
सभी  से  प्रेरणा  लेना  न  भूले  कभी  मित्रो .
प्रेरणा  को  लक्ष्य  में  करे  भरने  का  श्री  गणेश .
ऊर्जा  और  ऊष्मा  को  एकत्र  करते  रहे  सभी .
 करे  ऊर्जा  को  संचारित  करने  का  श्री  गणेश .
समय  से  बड़ा  दोस्त  नहीं  कोई   मेरे  दोस्त  यहाँ ,
हो  हमेशा नहीं   किसी  से  डरने  का  श्री  गणेश .
कर्तव्य  पथ  पे  मुकद्दर  की  क्या  जरूरत  दोस्तों .
कर्तव्य  को  सिर्फ  मन  से  हो  करने  का  श्री  गणेश .
दुःख  और  सुख  के  दरमियाँ   जीवन  को  सदा ही,
दुःख   से  खुद को सुख  तक  उबरने  का  श्री  गणेश.
अनिल अयान

बेटियाँ

बेटियाँ

खुशियों का एक जहान होती हैं बेटियाँ
शुभ लाभ का निशान होती है बेटियाँ
संस्कार और रीति रिवाजों को समेटे
पिता की एक पहचान होती है बेटियाँ
गमों को छिपा के खुशियों को बाँटती
इन लबों की मुस्कान होती है बेटियाँ
बेटा छोडता माता पिता को वृद्धाश्रम
उनके गम में कुर्बान होती है बेटियाँ
बेटे चले जा रहे है गर्त में हर रोज
हौसलों की एक उडान होती है बेटियाँ
कभी रानी, लाडो और लक्ष्मी अयान
सदा ही भाग्यवान होती है बेटियाँ

मै लेखक हूं इस आजाद गगन का.

मै लेखक हूं इस आजाद गगन का.
कभी रह न पाया वैचारिक बंधन में.

नियम कायदे बेमानी से लगते है.
अवसर मिलने पर क्यों जगते हैं.
मेरी कलम न अनुशासन में रह पायी.
गलत बात को वह ना सच कह पायी.
समझ के परे लगी मुझको वो बातें.
ऐसे लोगों से बेहतर मै रहूं निर्जन में.

मेरी खुद की सोच से मेरा लेखन है.
गुरूओं का दिया ग्यान ही दर्पण है.
समाज ने जैसा रंग दिखाया है मुझको.
परिस्थियों ने खूब जगाया है मुझको.
लेखन से नेपथ्य का सच बताने को.
मै ठान चुका हूं उद्देश्य यही अंतर्मन में. .

लेखन कोई चारण नही है सत्ता का.
यह कोई उच्चारण नहीं है भत्ता का.
लेखन ही क्या जो मानदेय से बिक जाये.
दोदूना दस अपने लालच मे लिख जाये.
मेरे लिखने से कोई हंगामा हो ना हो
कुछ चिंतन पैदा हो जाये जन जन में...

फलसफों का ख्वाबों के संग कारवां होता है

जब हक़ीकत का जिंदगी में सामना होता है.
फलसफों का ख्वाबों के संग कारवां होता है.

सिफर से उंचाइयों तक जो भी पहुंचता है़.
उसे अपने बलबूते पर बहुत गुमां होता है.

जिसकी हिफ़ाजत करती हैं मंज़िलें खुद.
उसके जीने की खातिर पूरा जहां होता है.

सब्र तो जरा कर रास्ते के ऐ मुसाफिर.
ज़द के लिये हर ज़र्रे पर मकां होता है.

मंज़िलें उन्हें ही नसीब होती हैं यहां अयान.
जो इसकी अना पर हमेशा फ़ना होता है.

अता होता है मुकम्मल जहां उसी को
जो इसकी खातिर ही यहां बना होता है.

जन्मों का संबंध हुआ है.

जन्मों का संबंध हुआ है.
जन्मों का संबंध हुआ है.
ऐसा कुछ अनुबंध हुआ है.

दिल की बातें ये दिल जाने.
जो जाने वो ही वह माने.
रिस्तों की सांसे थामे अब.
सच्चे को सब ही पहचाने.
तुम सपनों की शहजादी
मन बाग की सुगंध हुआ है.

दिल की एक कहानी होती.
मौजों के जैसे रवानी होती.
मन माने तो हरजाई सब.
या दिल की मनमानी होती.
शब्द मेरे कुछ ऐसे ढलते.
जैसे गीतों का बंध हुआ है.

आना जाना सब पहचाना
हाँ हाँ से हो जाती ना ना
नये पुराने के चक्कर में
जीते जी पडता मर जाना
पर स्नेह के संबल से अब
सांसों का तटबंध हुआ है.

अनिल अयान,सतना

दिल की बातें ये दिल जाने.
जो जाने वो ही वह माने.
रिस्तों की सांसे थामे अब.
सच्चे को सब ही पहचाने.
तुम सपनों की शहजादी
मन बाग की सुगंध हुआ है.

दिल की एक कहानी होती.
मौजों के जैसे रवानी होती.
मन माने तो हरजाई सब.
या दिल की मनमानी होती.
शब्द मेरे कुछ ऐसे ढलते.
जैसे गीतों का बंध हुआ है.

आना जाना सब पहचाना
हाँ हाँ से हो जाती ना ना
नये पुराने के चक्कर में
जीते जी पडता मर जाना
पर स्नेह के संबल से अब
सांसों का तटबंध हुआ है.

अनिल अयान,सतना