गीत :०२
ज़िन्दगी की डगर
ज़िन्दगी की डगर है मायूस अब
सभी कसमकस में जिए जा रहे
बेबसी ने लगाये है पहरे यहाँ
सब खुशियाँ गम में पिए जा रहे
कही है यादों की परछाइयाँ
कही है रिश्तों में रुस्वाइयाँ
हर पल ही बढती रही दूरियाँ
कैसे साहिल में कसती लिए जा रहे.
बदलने लगे है यहाँ मायने
प्रतिबिम्ब झूठे है या आइनें
आचरण जो मर गए है यहाँ
आवरण की दुहाई दिए जा रहे
सद्भाव से है नहीं कोई वास्ता
कोहरे में छिपा है यहाँ रास्ता
किसी ने न ली खबर भी हमारी
हरे जख्मो को सिर्फ सिये जा रहे.
अनिल अयान, सतना
ज़िन्दगी की डगर
ज़िन्दगी की डगर है मायूस अब
सभी कसमकस में जिए जा रहे
बेबसी ने लगाये है पहरे यहाँ
सब खुशियाँ गम में पिए जा रहे
कही है यादों की परछाइयाँ
कही है रिश्तों में रुस्वाइयाँ
हर पल ही बढती रही दूरियाँ
कैसे साहिल में कसती लिए जा रहे.
बदलने लगे है यहाँ मायने
प्रतिबिम्ब झूठे है या आइनें
आचरण जो मर गए है यहाँ
आवरण की दुहाई दिए जा रहे
सद्भाव से है नहीं कोई वास्ता
कोहरे में छिपा है यहाँ रास्ता
किसी ने न ली खबर भी हमारी
हरे जख्मो को सिर्फ सिये जा रहे.
अनिल अयान, सतना
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टीम हमारीवाणी