Sunday, May 13, 2012

गीत ०१ प्यार तूफां में नाविक की पतवार है.......

गीत ०१
प्यार तूफां में नाविक की पतवार है.......


एक तरफ प्यार है तुमको हमसे अभी
और कहते हो ये नफरत का व्यापार है.
प्यार की एक कहानी तुम अधूरी रखे
और कहते हो नफरत से संसार है.

प्यार को प्यार से तुम न बांटो कभी
प्यार को नफरतो से तुम न काटो कभी
तुम न जानो कभी प्यार होता है क्या
प्यार तूफां में नाविक की पतवार है

वख्त के संग तुम भी बदलते रहे.
ठोकरों से यहाँ पर सम्हलते रहे.
प्यार का घूँट पि कर हो जिन्दा यहाँ
दे रहे इसको गाली तुम्हे धिक्कार है

प्यार से ही यहाँ ज़िन्दगी चल रही
सूर्य भी उग रहा शाम भी ढल रही
अर्श से फर्श तक प्यार करते है सब
प्यार में सभी का यहाँ अधिकार है.


अनिल अयान

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