Monday, May 14, 2012

गीत -२ हम कितने वनवास जिए

गीत -२

हम कितने वनवास जिए ......

यह न पूछो हमसे यारो,
यहाँ किसने घाव दिए.
फटी हुयी ज़िन्दगी की पुस्तक
हम जिल्द नहीं सिये.


बोझ हो गए रिश्ते नाते
कैसी कैसी होती बाते
संबंधो के वृन्दावन में
नहीं हुयी कब से बरसातें
इन सांसो की खातिर यारो
लबो ने अमृत नही पिए


पीर फ़कीर और वजीर
कैसे हो गए ये सब तीर
बदली हुयी फिजा यहां
इन पैरो में है जंजीर
कैसे कह दे इस जीवन में
हम कितने वनवास जिए..

अनिल अयान..

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