लफ्ज़-ऐ-अनिल अयान
अनिल अयान की प्रातिनिधि गज़लें
Wednesday, May 9, 2012
दुश्मन
फ़कत गिरेबानोँ मे वो हाथ डालते रहे.
जब रहे कानो मे झूठी बात डालते रहे.
रहे तो दोस्त बनकर अयान सबके साथ,
दुश्मनो के संग मिलकर घात डालते रहे.
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