Wednesday, March 15, 2017

नये साल की नयी सुबह

नये साल की नयी सुबह
करती है ये आह्वान। 
हर पल बचा रहे सदा। 
यकीन और सम्मान। 

मंजिल और बुलंदी का
ना चढे किसी को दंभ। 
एक वर्ष छूट गया है। 
दूजे का होता आरंभ। 

कहने को हर वर्ष ही
होता मिलन विछोह। 
सबसे ममता मोह है। 
सबकी ममता मोह। 

वक्त आयेगा जायेगा
इसका यही दस्तूर। 
तटस्थ रहेगा जो सदा
बढेगा उसका नूर। 

नये साल की ये सुबह
देती एक संदेश। 
स्वच्छ बनाये रखो तुम। 
अंतर्मन परिवेश। 
अनिल अयान। सतना।

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