Saturday, November 9, 2013

रिश्तों में विश्वास

जब भी कम होता यहाँ रिश्तों में विश्वास
पावन प्रेम बदल लेता है सपनों का आकाश
जब मुस्कानों की बगिया देती नयी सुगंध
दिलों में बन जाते है नित नवीन अनुबंध
रिस्ता क्या है कुछ नहीं एक दूजे का विश्वास
यह बने तो रास है यदि नहीं तो मन का फाँस
खामोशी अखरी तभी जब हो जवाब की आस
खामोशी संकट बने यदि बढे ये दिन और मास


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