जब भी कम होता यहाँ रिश्तों
में विश्वास
पावन प्रेम बदल लेता है सपनों
का आकाश
जब मुस्कानों की बगिया देती
नयी सुगंध
दिलों में बन जाते है नित नवीन
अनुबंध
रिस्ता क्या है कुछ नहीं एक
दूजे का विश्वास
यह बने तो रास है यदि नहीं
तो मन का फाँस
खामोशी अखरी तभी जब हो जवाब
की आस
खामोशी संकट बने यदि बढे ये
दिन और मास
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