गीत....
जब से हमारा देश गणतंत्र हो गया
भ्रष्ट नीतियों का विकास मंत्र हो गया
त्रासदी में यहाँ वोट के खेल चल रहे
बेकसूर अपराधियों संग जेल चल रहे
संसद के रंग भी हर पल बदलते रहे
जनता से पास होकर भी फेल चल रहे
दिल और दिमाग भी यहाँ अनमना रहा
पूरा देश एक जीता जागता यंत्र हो गया
धर्म राजनीति के आज गले लग गया
आतंक और नक्सलवाद आज जग गया
घोटालों को किसी ने भी कभी टाला नहीं
ईमान भी बेमानी संग कल रात भग गया
इंशानियत शीशमहलों में अगवाह हो गई
लाचार और बेआबरू लोक तंत्र हो गया.
अनिल अयान श्रीवास्तव,सतना,९४०६७८१०४०
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