Sunday, March 2, 2014

GEET

जिस दिन तुम्हे ये मंजिलें मिल जायेगीं
उस दिन तुम्हे मै भी कहीं याद आऊँगा.
यादों के संग कुछ काफिले बन जायेंगें.
फिर से खुशी के गीत मै भी गाऊँगा.

जब भी खतरों में लगे ये जिंदगी.
और उज्जवल कल ना दे बंदगी.
मंजिलों से जब भी तुम हटने लगो.
और भोरमभोर जब तुम ना जगो.
जब भी अंधेरों से डर लगने लगे
और डर तुमको रंग रगने लगे
उस हार के पहले तुम याद करना
तुम्हारे संग मै मंजिलों तक जाऊँगा.
जिस दिन तुम्हे ये मंजिलें मिल जायेगीं
उस दिन तुम्हे मै भी कहीं याद आऊँगा.१.


हौसले जब भी तुम्हारा साथ छोडे
और साथी सब तुम्हारा हाथ छॊडे
यदि मंजिलों की राह में पडना अकेले
अनवरत तब तुमको है बढना अकेले.
मंजिलें पाने की खातिर बढना पडेगा.
संघर्ष करके यह समर लडना पडेगा.
तुम्हारे चेहरे मे दिखे जब मुझको खुशी.
तुम्हारे संग मै विजय ध्वज लहराऊँगा.
जिस दिन तुम्हे ये मंजिलें मिल जायेगीं
उस दिन तुम्हे मै भी कहीं याद आऊँगा.२.
 अनिल अयान.